संतों के दर्शन करने व संतों से ज्ञान लेने के साथ ही दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। संतों के सान्निध्य में रहकर विभिन्न कार्यों की शुरुआत कर जीवन को सफल व उज्जवल बनाया जा सकता है। यह बात समाजसेवी माणकचंद कोठारी ने रविवार को बोरुंदा से बिलाड़ा जैन संतों के चातुर्मास में रवाना होने से पूर्व संघ सदस्यों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि अहिंसा ही सबसे बड़ा धर्म है, अहिंसा अपनाकर बड़ी से बड़ी बाधाओं को भी पार किया जा सकता है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सरपंच नरेंद्रदान देथा व गोशाला अध्यक्ष रिखबचंद कोठारी ने कहा कि संतों के सान्निध्य में जीवन व्यतीत करने से सुख की प्राप्ति होती है। इस दौरान जबरचंद कोठारी, कमल कोठारी, महावीर कोठारी, प्रकाश जैन, लुंबाराम गहलोत, सुभाष जैन, संतोष कोठारी, कबीर कुरैशी, लोक कलाकार पूनमचंद दाधीच, रतनलाल गहलोत, सागर कोठारी, कन्हैयालाल कोठारी, घनश्याम जोशी आदि मौजूद थे।
संतों के दर्शन व दान करने से पुण्य मिलता है : कोठारी